एक कचरा बीनने वाले को मिला अंतरराष्ट्रीय ख्याति , कैसे ? कौन है यह ?

Vikky Roy

आज भागदौड़ की जिंदगी में हर कोई सफल होना चाहता है। सफलता के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और तब तक मेहनत करनी पड़ती है जब तक हम उसे हासिल ना कर लें। एक ऐसा सख्स जो 11 साल की उम्र में घर छोड़ कर भाग गया और वक़्त का ऐसा मार की उसे कचरा बीन के अपना पेट भरने की नौबत आया, लेकिन अपनी लगन और कड़ी मेहनत के दम पर दुनिया के सबसे कम उम्र के फोटोग्राफर के रूप में जाना गया। फोर्ब्स मैगज़ीन एशिया ने कम उम्र के फोटोग्राफर के रूप इनका नाम चयनीत किया। आज हज़ारो लोगो के प्रेरणास्रोत विक्की राय बन चुके हैं। एक ग़रीब, संघर्ष और कड़ी मेहनत की सफल होने की कहानी।

घर से भागना:
सन 1987 पुरुलिया गांव (पश्चिम बंगाल) के बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे विक्की रॉय जब बहुत छोटे थे, गरीबी के कारण उनके माता-पिता का खुद का पेट पालना मुश्किल हो रहा था तो वो मजबूर होके विक्की रॉय को नानी के घर छोड़ दिया। नानी के घर विकी राय को बिल्कुल भी मन नहीं लगता था, क्योंकि उनके ऊपर अत्याचार किया जाता था। उनके साथ एक नौकर की तरह व्यवहार किया जाता था, उन्हें बार-बार मारा पीटा जाता था, उनसे बहुत बड़े-बड़े काम करवाया जाता था जो एक छोटे से बच्चे के लिए बड़ी असंभव सा था। महज 11 साल की उम्र में इनसब से परेशान होकर एकदिन उन्होंने अपने नाना के जेब से कुछ रुपये लिए और घर छोड़ कर भाग गए। उस वक़्त उन्हें क्या पता था कि ये कदम उनके लिए कितनी मुश्किलें लाएगा। वह एक ट्रेन में बैठ गए जो उन्हें सीधा दिल्ली ले आया। जब वह दिल्ली पहुंचे तो वो भीड़-भाड़ देख काफी घबराने लगे और खूब रोने लगे तभी उन्हें वहाँ पर कुछ कचड़े बीनने वाले बच्चें मिले जिसके साथ वो रहने लगे। वह दिन भर कचड़ा बीनते थे और रात में जब सोने जाते थे तो पुलिस वाले उनलोगों को डंडे मार कर भगा देते थे। बड़ी मुश्किलों से उनका जीवन गुजर रहा था वह बस दिन रात यही दुआ करते कि कुछ अच्छा हो उनके जीवन में, तभी एक दिन एक आदमी की नज़र विक्की पर पड़ी, जिसने विक्की को एक अनाथालय में छोड़ आया। अनाथालय में अच्छा खाना-पीना तो था पर वह खुद को एक जेल में बंद से महसूस करने लगे और उन्हें वहाँ घुटन सा होने लगा। वह अपने सारे दोस्त जो कचरा चुनते थे उनके पास जाना चाहते थे। एक दिन मौका देख के वह वहाँ से भाग गए और फिर उन्हीं लोगों के साथ रहने लगे। एक दिन उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई जो उनके लिए कोई फरिश्ता था।

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जीवन का सबसे बड़ा बदलाव:
कचरे बीनने से उनका पेट नहीं भरता था तो उन्होंने एक होटल में बर्तन धोने लगे जहाँ उन्हें कम से कम दो वक्त का खाना मिल जाय करता था। एक दिन एक व्यक्ति उस होटल में खाना खाने आया, उसकी नज़र विक्की पर पड़ी उसने देखा एक छोटा सा बच्चा इतनी मेहनत से बर्तन धो रहा है और गलत करने और अपने मालिक से डाँट भी खा रहा। उस व्यक्ति ने विक्की को अपने पास बुलाया और कहा कि अभी तुम्हारी पढ़ने की उम्र है, तुम ये सब करते हो तुम्हारे माँ-बाप कहाँ है बताओ जो तुम्हे ये सब करने के लिए मज़बूर करते हैं। तब विक्की ने उन्हें सारी बातें बताई। उस व्यक्ति ने विक्की को सलाम बालक नामक संस्था ले गए और वहाँ वह ‘अपना घर’ जो कि सलाम बालक के अंतर्गत आता था उसमें रहने लगे। उनका मन यहाँ लग गया, किन्तु उन्हें पढ़ाई में बिल्कुल रुचि नही थी। एक दिन उनके ट्रस्ट में कुछ विदेशी फोटोग्राफर आये, उन्हें देख विक्की को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने सोचा कि उन्हें यही करना है। लेकिन 10 कक्षा का में मात्र 44% ही ला पाए उसके बाद उनका पढ़ाई से बिल्कुल मन उठ गया और तब उन्होंने ठान लिया कि वह एक फोटोग्राफर ही बनेंगे।

home street homes

फोटोग्राफर में उनका शुरुआत:
एक बार उनके संस्था में एक फोटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन हुआ, तब विक्की ने शिक्षक से फोटोग्राफी में अपनी रुचि के बारे में बताया। तभी शिक्षक ने डिक्सी बेंजामिन से विक्की का परिचय करवाया और कहा कि यह लड़का फोटोग्राफर बनना चाहता है। डिक्सी बेंजामिन ने विक्की को अपना सहयोगी के रुप में रख लिया और उन्हें फोटोग्राफी सिखाने लगी किंतु उन्हें फोटोग्राफी सीखना काफी मुश्किल हो रहा था क्योंकि उन्हें अंग्रेजी भाषा की जानकारी नहीं थी और बेंजामिन हमेशा इंग्लिश में ही उनसे बात किया करता था। डिक्सी बेंजामिन जब विदेश लौट गया तब विक्की के लिए यह एक बड़ा प्रश्न बन गया कि अब वह क्या करे। कुछ समय पता लगाने के बाद विक्की ने एनि मान नाम के एक फोटोग्राफर से मुलाकात हुई। वह 3000 रुपए के तनख्वाह पर विक्की को अपना सहयोगी बना लिया। 18 साल की उम्र तक विक्की ट्रस्ट में रहे लेकिन उसके बाद उन्हें खुद का कमरा लेना पड़ा। सलाम बालक का उन्हें काफी सहयोग मिला, उन्होंने यहाँ से कुछ पैसे कर्ज़ के रूप में लिए जिससे उन्होंने एक ब्लैक-वाइट कैमरा लिया। वह हर महीने 500 रुपये उस ट्रस्ट को किश्तों के रूप में देते थे। उनके कमरे का किराया 2500 था। उनके लिए जब काफी मुश्किलें होने लगी तब उन्होंने एक होटल में वेटर के रूप में नौकरी पकड़ ली। और बचा समय में वो फोटोग्राफी किया करते थे।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति:
विक्की जब 20 वर्ष के हुए तो उन्होंने अपना पहले फोटोग्राफी का प्रदर्शनी लगाया जिसका नाम उन्होंने Street dreams रखा। इससे वह काफी प्रसिद्ध हुए और बतौर फोटोग्राफर के रूप में एक चर्चित विषय बन गए। लोग उनकी फोटो को काफी पसंद करने लगे। उनकी ख्याति इतनी बढ़ी कि उनकी प्रदर्शनी के लिए लंदन वियतनाम और दक्षिण अफ्रीका देशों से उन्हें बुलावा आने लगा। वहाँ से वापस आकर वह उन्होंने रामचंद्र नाथ फाउंडेशन और मायवॉच फाउंडेशन फोटोग्राफी के लिए न्यूयॉर्क भी गए। उन्हें सलाम बालक ट्रस्ट की ओर से पुरस्कृत भी किया गया।

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सफलता और पुरस्कार:
उनकी कड़ी मेहनत में उन्हें इतना सफल बनाया तूने फिर पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता नहीं पड़ी और जिस सफलता के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया। 2010 में उन्हें Bahrain indian ladies association के द्वरा young achiever form india से सम्मानित किया गया। 2011 में विक्की ने अपने कुछ दोस्तों के साथ एक एक फोटोग्राफी पुस्तकालय मैं फोटोग्राफर को जोड़ने का आग्रह किया। उनका मकसद यह था कि जो लोग कम पैसे होने के कारण फोटोग्राफी की अच्छी-अच्छी किताबें नहीं खरीद पाते हैं वह उस लाइब्रेरी से बहुत कम कीमत में किताबें ले पाए। 2013 में विक्की net geo mission के तहद फोटोशूट के लिए श्रीलंका गए। इसी साल उन्होंने अपनी पहली किताब ‘home street home’ प्रकाशित किया। इन्हें 2014 में MIT और Ink Talk के द्वारा fellowship भी मिला। कई सालों के बाद विक्की की मुलाकात अपने परिवार से भी हुई वह अपने भाई-बहनों से भी मिले। 2016 में Forbes में सबसे कम उम्र के फोटोग्राफर के तौर पर इनका भी नाम आया।
आज विक्की रॉय एक सफल फोटोग्राफर है, वह freelance photographer के तौर पर कार्यरत है।
हमारे जीवन में सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। हमें सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। तब तक मेहनत करनी पड़ती है जब तक हम सफल न हो जाये और सफल होने के बाद भी हमें मेहनत करनी पड़ती है ताकि हम सफल बने रहे।

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