साईकल से 42000 करोड़ का सफ़र

karsanbhai patel

हमारी ज़िन्दगी खुशियाँ और मुश्किलों का मिश्रण है। कभी मुश्किलें आती है जो हमें जीने के अलग अलग तरह की चुनौतियों से हमे मिलती है और जीने का नया तरीका सिखाती है। और खुशियाँ, जिसे हम कभी नहीं खोना चाहते। किसी भी क्षेत्र में हमे सफल होने के लिए सबसे ज़रूरी है सकारात्मक रहने की, अपने आप को अनुशासित रखना। लेकिन सफलता का रास्ता इतना आसान नही होता पर नामुमकिन भी नही होता। आज हम एक ऐसे सख्सियत के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने एक छोटे से कमरे में खुद का डिटर्जेंट बनाया और अपने 8 घंटो के नौकरी के बाद शाम में साईकल पर घर-घर घूम के कर बेचना शुरू किया। अपनी लगन और मेहनत के बल पर एक सफल डिटर्जेंट पावडर के कम्पनी का निर्माण कर दिया, जिसे आज ‘निरमा’ के नाम से जाना जाता है। ‘सबकी पसंद निरमा’ के संस्थापक करसनभाई पटेल हैं। करसनभाई पटेल का जन्म 13 अप्रैल 1945 को गुजरात के मेंहसाना में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मेंहसाना के विद्यायल में किया। 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने रासायन शास्त्र से बी.एस.सी किया और सहायक के रूप में एक प्रयोगशाला में नौकरी करने लगे।

करसनभाई पटेल

निरमा की शुरुआत:
सन 1969 में उन्हने अपने घर में निरमा ( उनकी बेटी के नाम पर ) डिटर्जेंट का निर्माण किया, और अपने नौकरी के बाद उनके पास जो भी समय बचता था वह साईकल पर घूम घूम कर बेचने लगे। जब वह अपने दफ़्तर के लिए जाते थे तब वह 10-15 पैकेट लेते जाते और उसे बेचते अपने दफ़्तर पहुचते और जब वह शाम को घर आते तो उस वक़्त भी बेचने निकल जाते और रात को जब घर आते, उस वक़्त वो डिटर्जेंट बनाते। उन्होंने इस डिटर्जेंट पाउडर की कीमत मात्र 3 रुपये रखा जो उस वक़्त के बाकी डिटर्जेंट के मुकाबले एक चौथाई था। लोगों को सस्ता पाउडर जच गया और देखते-देखते निरमा एक सफल डिटर्जेंट पाउडर के रूप में उभर कर सामने आया। लगभग 3 साल के बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने घर के पीछे में निरमा पाउडर की एक छोटी सी फैक्ट्री डाल दिया। बड़े कम समय में ही निरमा डिटर्जेंट पाउडर गुजरात और महाराष्ट्र में पूरी तरह से स्थापित हो गया।
बेहतर गुणवत्ता और कम कीमत के कारण निरमा डिटर्जेंट पाउडर हर ग्रहणी का पसंदीदा पाउडर बन गया। इसके बाद करसनभाई पटेल ने रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार पूरे देश में करने लगे और देखते ही देखते यह पाउडर पूरे देश का पसंदीदा पाउडर बन गया। निरमा डिटर्जेंट पाउडर ने पूरे देश में क्रांति ला दी उस समय डिटर्जेंट और साबुन की बहुराष्ट्रीय कंपनी जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर जो कि 13 रुपये अपने डिटर्जेंट पाउडर बेचा करती थी सबको पानी पिला दिया। करसनभाई ने अपने सूझ-बूझ से 10 साल के अंदर निरमा डिटर्जेंट पाउडर को सबसे ज्यादा बिकने वाला पाउडर बना दिया। इस प्रकार निरमा डिटर्जेंट पाउडर बहुत कम ही समय में बहुत सफल कंपनी बन गया।
सन 2004 आते-आते उसने लगभग 14000 लोगों को रोजगार भी दिया। सस्ती डिटर्जेंट पाउडर में अपना पैर जमाने के बाद निरमा ने महसूस किया कि कुछ आए वर्गीय परिवार को ध्यान में रखते हुए कुछ नए प्रोडक्ट को बाजार में जाना जरूरी है ताकि कंपनी मध्यवर्गीय के साथ-साथ उच्च वर्गीय लोग भी इसके उत्पादन का इस्तेमाल करा सके। इस दृष्टिकोण से निरमा में प्रीमियम क्षेत्र में कदम रखा जिसके अंतर्गत ‘निरमा बाथ’, ‘निरमा ब्यूटी शॉप’, ‘प्रीमियम पाउडर’ जैसे उत्पादों को बाजार में लाया। निर्माण ने टूथपेस्ट और शैंपू के क्षेत्र में भी अपना पांव फैलाने की कोशिश की परंतु उसमें उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। निर्माण में ‘शुद्ध’ नामक नमक को बाजार में उतारा जो काफी सफल रहा। आज साबुन के क्षेत्र में लगभग 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि डिटर्जेंट पाउडर के क्षेत्र में 35 प्रतिशत बाजार निरमा के कब्जे में है।

निरमा विश्वविद्यालय

शिक्षा का क्षेत्र में:
डिटर्जेंट और साबुन के क्षेत्र में सफल होने के बाद सन 1995 में करसनभाई पटेल ने निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की, इसके बाद एक प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की गई जो बाद में चलकर निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अंतर्गत आ गया। सन 2004 में निरमा लैब्स की स्थापना की गई। आगे चल कर उन्होंने दवा में भी अपना कदम बढ़ाया।

निरमा के सफ़लता पीछे कारसनभाई पटेल

अंतरराष्ट्रीय बाजार में:
सन 1990 के दशक में निरमा उपभोक्ता के लिए डिटर्जेंट और व्यक्तिगत उत्पादों में बाजार में सबसे आगे था। इसमें सबसे महत्वपूर्ण था सबसे कम क़ीमत और अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद। आज फोर्ब्स मैगज़ीन के अनुसार निरमा 42000 करोड़ की कम्पनी बन चुका है और करसनभाई पटेल की कुल सम्पति 3900 करोड़ है। निरम का नेटवर्क आज लगभग 400 से अधिक वितरक ओर 2 लाख से ज्यादा खुदरा दुकान वाले शामिल हैं। इस विशाल नेटवर्क के कारण आज निरमा छोटे छोटे गाँव तक पहुंचने में सक्षम हो पाया है। अपने आप को भारत में स्थापित करने के बाद करसन भाई पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अपना कदम बढ़ाते हुए बांग्लादेश में एक संयुक्त कंपनी स्थापित किया। धीरे-धीरे चीन, अफ्रीका और बाकी एशियाई देशों की तरफ रुख किया। सन 2007 में उन्होंने अमेरिकी कच्चे माल की कंपनी ‘बैली मिनरल्स इंक’ का अधिग्रहण कर दुनिया के शीर्ष सोडा ऐश निर्माता में शामिल हो गए।
निरमा देश के कुछ उन चुनिंदा ब्रांडों में से एक है जिन्हें पूर्ण भारतीय ब्रांड के रूप में पहचाना जाता है। निरमा ने करसनभाई पटेल के नेतृत्व में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रूप से स्थापित और शक्तिशाली कंपनी के रूप में सफलता प्राप्त की और अपनी अनूठी तरीकों से उपभोक्ताओं का दिल जीता।

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