Jessica Cox: A women with no hand/जेसिका कॉक्स: पैरों से जहाज़ चलने वाली पायलट |

jessica cox

आज हमें अपनी ज़िंदगी जीना मुश्किल सा लगता है। कोई अपने जीवन में कर्ज़ से परेशान है तो किसी के रिश्ते ख़राब है, किसी को अपने कैरियर की चिंता तो किसी को पैसे कमाने की। इन सब के लिए न जाने क्या क्या कदम उठा लेते हैं। कुछ लोग तो अपने जीवन के इन परेशानियों से जूझ नही पाते और अत्महत्या तक कर लेते हैं। कोई नशे में डूब जाता है और न जाने क्या क्या। आप एक कल्पना करें कि अगर जन्म से आपके दोनों हाथ न हो तो आप क्या करते? आपके जीने का क्या मक़सद होता? क्या जी पाते आप ?
आज हम एक ऐसी महिला के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है। सोचिये उनके लिए जीना कितना मुश्किल होगा किन्तु उन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसा किया की लोग आज उनसे प्रेरित होते हैं। उन्होंने कुछ ऐसा अपने जीवन मे किया जो कि हाथ वाले लोग भी नही कर पाते। आज वह मार्शल आर्ट में महारथ हासिल कर चुकी है। यही नहीं गाड़ी और हवाई जहाज़ तक चलने में उन्होंने ऐसा रेकॉर्ड बना दिया जो शायद अब कभी नही टूट पायेगा। उन्होंने पियानो बजाने में भी कुशल हैं। उनका नाम जेसिका कॉक्स है।

प्रारंभिक जीवन:
2 फरबरी 1983 में जन्मी जेसिका जन्म से ही बिना हाथ के ही पैदा हुई। जब वह 14 वर्ष की थी तब उन्हने मानव निर्मित हाथो के उपयोग करने को बोला गया किन्तु उन्होंने मना कर दिया। जेसिका कॉक्स ने 2005 में साइकोलॉजी और कम्युनिकेशन से ग्रेजुएशन एरिजोना यूनिवर्सिटी से पूरा किया। वह अपने पैरों को हाथ की तरह इस्तेमाल करने लगी उन्होंने अपने मन में कभी ये बात आने ही नही दिया कि उनके पास हाथ नही है। वह उन्हीं दो पैरो से वो सारे कम करने लगी जो हम आम मनुष्य करते हैं। वह कार भी चलाने लगी उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी है। उनकी कंप्यूटर टायपिंग स्पीड 1 मिनट में 25 शब्द भी टाइप करने लगी। इसके बाद वह सर्टिफाइड गोताखोर भी बनी।

जेसिका कॉक्स की अविश्वसनीय करियर:
2005 में पहली बार जेसिका में एक ईंजन वाला हवाई जहाज चलाया। बाद में कुछ महीनों के प्रशिक्षण के बाद जेसिका को अपना पायलट सर्टिफिकेट 2008 में मिला ऑनलाइट स्पोर्ट्स एयरोक्राफ्ट को 10000 फीट तक चलाने की इजाज़त मिली। उन्होंने फ्लाइट का प्रशिक्षण स्कॉलरशिप में मिलने वाले पैसों से किया और एक प्रोफेशनल पायलट की तरह अपने दोनों पैरों से हवाई जहाज चलाने लगी।
ERCO 415-C-Ercoupe ने जेसिका की हालत को देखते हुए एक ऐसे जहाज का निर्माण किया जिसे जेसिका अपने पैरों की सहायता से बड़ी आसानी से चला सके।
10 साल की उम्र में ही जेसिका ने ताइक्वांडो( कराटे का एक प्रकार) का प्रशिक्षण अपने स्थानीय स्कूल सिएरा विसटा से लेना शुरू कर दिया था। 14 वर्ष की उम्र में उन्हें अपने ब्लैक बेल्ट मिला अपने प्रशिक्षण के दौरान जेसिका ने कई नए नए तकनीकी है का भी आविष्कार किया जो हाथ होते भी हाथ वाले लोग नही कर पाते थे और वो पैरो से कर के दिखाने लगी। ATA प्रतियोगिता में जेसिका ने लगातार तीन ब्लैक बेल्ट जीते। 2014 में एरीजोना स्टेट चैंपियनशिप का भी टाइटल उन्हें दिया गया। जेसिका कभी भी खुद को दूसरों से कम नहीं समझती थी। उन्हें इस बात का कभी दुख नहीं था कि उनके पास हाथ नही हैं। इसके बाद जेसिका एक प्रेरणादायक वक्ता बन गई। उन्होंने 25 से भी अधिक देशों में अपनी कहानी के माध्यम से लोगों को यह बात बताया कि हमें अपने आप को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। हमारे अंदर कुदरत की दी हुई वह सारी शक्तियों है जिससे हम अपना सारा काम कर सकते हैं। हमें किसी के ऊपर निर्धारित नहीं रहना पड़ेगा। जेसिका बताती है उनके जन्म के वक़्त डॉक्टरों को भी यह समझ पाना काफी कठिन था कि ऐसा कैसे हुआ। आज वह दुनियाभर को अपनी कहानी बताती हैं।
जेसिका जैसे-जैसे बड़ी होने लगी उनके मन में कई बार ऐसे प्रश्न आए होंगे कि वह दूसरों की तरह कैसे ज़िन्दगी जी पाएगी। जेसिका के माता-पिता ने कभी भी उनका आत्मविश्वास कमने नहीं दिया। जेसिका, खुद को यही कहा करती थी कि मैं अपने पैरों से वह सबकुछ करूँगा जो हाथ से लोग करते हैं।
जेसिका डांस में बचपन से ही बहुत अच्छा थी, एक बार जब वो लोगो के सामने डांस कर रही थी तब वह सबसे पिछले कतार में खड़े हो कर डांस करने गए तभी उनके शिक्षक ने जेसिका को अगले कतार में खड़ा किया। उस डांस के बाद लोगो ने खड़े होकर जेसिका के हौसलों को सराहा। सभी ने खड़े होकर तालियों से स्वागत किया। यह उनकी ज़िंदगी के सबसे हसीन पल में से एक थे।

आज जेसिका एक प्रेरणादायक वक्ता की भूमिका निभा रही है। वह अलग अलग देशों में यात्रा करती है और अपने भाषण के माध्यम से लोगों के अंदर जीने का हौसला पैदा करती है। उनका कहना है हम एक राही है और राही के पथ में काफी मुश्किलें आती है, काफी बाधाएं आती है, पर वह उन सब को नजरअंदाज कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है और तब तक बढ़ता रहता है जब तक उन्हें वह लक्ष्य मिला जाए।
यह सौ फ़ीसदी सही है कि जब तक जिंदगी है जब तक चुनौतियां आएंगी। पर अपने लक्ष्य को पाने के लिए हमारे अंदर आत्मविश्वास और जुनून कभी कमी नहीं होनी चाहिए। यदि आपके जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य साफ हो और उसे पाने के लिए आपके अंदर एक जुनून हो जिंदगी की हर शारीरिक और आर्थिक समस्या भी आपके लक्ष्य के सामने छोटी पड़ जाती है। आप हर उस सफलता को हासिल कर सकते हैं जिसे आप पाना चाहते हैं।

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