4.चेतन मन( CONSCIOUS MIND ) और अवचेतन मन (SUBCONSCIOUS MIND) !!

मुख्य रूप से हमलोग मन के दो भागों को समझे और उसे इस्तेमाल में लाना सीख जाए तो हमलोग बड़ी आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
सचेतन मन(conscious mind) अर्थात जगा हुआ चेतना। मानव मस्तिष्क का 10 प्रतिशत हिस्सा ही चेतन अवस्था में होता है। जब हम जागे होते हैं तब ही यह काम करता है। जबकि अचेतन मन (subconscious mind) अर्थात सोया हुआ चेतना। मानव मस्तिष्क का 90 प्रतिशत मन अचेतन अवस्था में होता है। यह स्वचालित रूप से चलता है और हमेशा सक्रिय रहता है। इनके बीच एक रास्ता होता है जिसे हमें समझना है। एक उदाहरण से इन्हें समझते है, जब हम साईकल चलाना सीखते है तो शुरुआती दौर में हमे परे ध्यान से चलना पड़ता है, हमें डर होता है कि कही हम गिर न जाये किन्तु लगातार अभ्यास से बाद हमें इसे चलाने में कोई मुश्किल नहीं होती। हम तो इतने महारथ हासिल कर लेते है कि बिना हैंडल पकड़े भी इसे चला लेते हैं। जब हम साईकल चलना शुरू करते हैं तब हम अपने सक्रिय मन(चेतन मन ) के द्वारा साइकिल को नियंत्रित करते हैं किंतु जब हम लगातार अभ्यास करने लगते हैं तो धीरे-धीरे यह सूचना हमारे अचेतन मन को मिलने लगती है, अवचेतन मन एक बार अगर किसी किसी सूचना को स्वीकार कर लेता है फिर बिना मुश्किलों के हम बड़ी आसानी से वो काम करने लगते हैं। किसी भी कार्य को अमल में लाने का पहला कदम चेतन मन से ही शुरू होता है।

चेतन मन का मुख्य कार्य निम्नलिखित है !

I. संवेदना ( SENSATIONS ) पर नियंत्रण :
हम जो देखते हैं , सूंघते हैं , सुनते हैं , खाते हैं , महसूस करते हैं इन सारों पर हमारा नियंत्रण चेतन मन का होता है |

II. हलन-चलन ( MOVEMENT ) :
हम जो भी कार्य करते हैं उसके लिए हम अपने दिमाग को आदेश देते हैं कार्य करने को | जैसे हमें पानी लेनी हो तो हम यह महसूस करने के बाद पानी लेने के लिए अपने दिमाग को आदेश देते हैं तब हम खुद से पानी लेके पीते हैं | यह सब कार्य हमने चेतन मन से होता है |

III. विचार ( THOUGHTS ) :
किसी भी कार्य के लिए हम कुछ सोचते हैं कि क्या करें कैसे करें इन सारे विचारों पर हमारे चेतन मन कार्यरत होता है | हमारे सुबह उठते ही हमारे दिमाग में तरह-तरह के विचार आने शुरू हो जाते हैं और जब हम सो जाते हैं तो विचार आने बंद हो जाते हैं क्योंकि हमारा चेतन मन सिर्फ तभी कार्य करता है जब हम जागे होते हैं | हम अगर कोई भी तत्कालीन निर्णय लेते हैं यह सब हम चेतन मन से ही लेते हैं |

IV. तर्क करना ( LOGIC ) :
किसी भी विषय के बारे में सवाल करना जैसे कब , क्यों , कैसे , या किसी विषय पर तर्क करना यह सब हमारे चेतन मन के द्वरा होता है।

V. पृथक्करण ( ANALIYSIS ) :
किसी भी वस्तु तो हम बाँटते हैं। उसे अलग अलग कर के वयवस्थित तरीके से रखते हैं । यह सब हमारे चेतन मन के द्वरा होता है |

VI. चेतन मन से सही अवसर को परख सकते हैं |

VII. सही और गलत की परख ( JUDGING ) :
हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत है ये सारे निर्णय लेनें में चेतन मन का अहम भूमिका है ।

VIII. निर्णय ( DECISION ) :
कोई भी निर्णय लेने हम जो सोचते हैं यह सब हम अपने चेतन मन क् द्वरा करते हैं ।

IX. किसी कार्य को अमल में लाने के लिए जो भी कदम उठाते हैं । किसी चीज को पसंद करते हैं । किसी चीज को चुनते हैं । यह सब हमारे चेतन मन के द्वरा होता है ।

एक तरह से कहा जाए तो वो सारे कार्य जिसे हम रोज-मर्रा करते हैं और उन कार्यों को करने के लिए हम दिमाग का इस्तेमाल करते हैं । ये सारे कार्य हमारे चेतन मन के द्वरा किया जाता है ।

अगला अध्याय में हम पढ़ेंगे अपने अवचेतन मन का कार्य क्या क्या होता है और उसका इस्तेमाल हमलोग कैसे कर सकते हैं।

अगला अध्याय : पढ़ने के लिए यह क्लिक करें

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